चलना हमारा काम है
कभी सह लिया, कभी कह दिया,
कुछ दुःख ही अपना बंट गया,
हर्षित हुई , तुम मिल गए,
कुछ दुःख का बादल छंट गया |
क्या अभी मैं परिचय कहूं,
तुम चुप रहो , में चुप रहूँ
यात्री हमारा नाम है
चलना हमारा काम है |
आशा की गरिमा लिए हुए,
पा कर कभी ,खो कर कभी
हास्य – रूदन से घिरे,
हँस कर कभी, रो कर कभी |
इस क्रूर महामारी-प्रहार में
किसको नहीं सहना पड़ा ?
मृत्यु-दुःख हमारी ही तरह,
किसको नहीं सहना पड़ा ?
फिर व्यर्थ क्यों हम हों त्रस्त ?
हम पर ईश्वरीय कृपा तमाम है !
हम सबल, हमेशा ही आश्वस्त
चलना हमारा काम है I