Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Oct 2024 · 1 min read

घोटुल

मुरिया जनजाति की पावन परम्परा
विलुप्त हो रही आज,
लकड़ी-मिट्टी से बने घोटुल में होते
नवजीवन का आगाज।

शिक्षा मनोरंजन के साधन गजब का
जहाँ संगीत पर थिरकते पाँव,
गॉंव के चेलिक औ’ मोटियारिनों का
सांझ से होते जुड़ाव।

सारी रात बिताते साथ-साथ
जीवनसाथी भी चुनते,
प्रीत के बन्धन में बन्ध करके
भावी जीवन के सपने बुनते।

बस्तर में है सदियों से प्रचलित
गजब का यह रिवाज,
वो दौर कबके देख चुके हैं जिसके
पीटते ढिंढोरा पश्चिम समाज।

घोटुल की आज प्रासंगिकता यही
होता बलात्संग का निषेध,
पुलिस थानों में दर्ज न मिलेगा
बलात्संग का कोई केस।

(मेरी सप्तम काव्य-कृति : ‘सतरंगी बस्तर’ से..)

डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
बेस्ट पोएट ऑफ दी ईयर 2023

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 47 Views
Books from Dr. Kishan tandon kranti
View all

You may also like these posts

अवधू का सपना
अवधू का सपना
अवध किशोर 'अवधू'
भाई बहन की संवेदना (रक्षाबंधन पर्व)
भाई बहन की संवेदना (रक्षाबंधन पर्व)
Dr B.R.Gupta
पहले से
पहले से
Dr fauzia Naseem shad
अपनी हसरत अपने दिल में दबा कर रखो
अपनी हसरत अपने दिल में दबा कर रखो
पूर्वार्थ
इज़्ज़त पर यूँ आन पड़ी थी
इज़्ज़त पर यूँ आन पड़ी थी
अरशद रसूल बदायूंनी
चौथ मुबारक हो तुम्हें शुभ करवा के साथ।
चौथ मुबारक हो तुम्हें शुभ करवा के साथ।
सत्य कुमार प्रेमी
तपती दुपहरी
तपती दुपहरी
Akash RC Sharma
!! चहक़ सको तो !!
!! चहक़ सको तो !!
Chunnu Lal Gupta
सब कुछ हो जब पाने को,
सब कुछ हो जब पाने को,
manjula chauhan
चोर उचक्के बेईमान सब, सेवा करने आए
चोर उचक्के बेईमान सब, सेवा करने आए
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
यही रात अंतिम यही रात भारी।
यही रात अंतिम यही रात भारी।
Kumar Kalhans
कुछ
कुछ
Rambali Mishra
Uljhane bahut h , jamane se thak jane ki,
Uljhane bahut h , jamane se thak jane ki,
Sakshi Tripathi
मैं मेरा घर मेरा मकान एक सोच
मैं मेरा घर मेरा मकान एक सोच
Nitin Kulkarni
हम रोते नहीं
हम रोते नहीं
महेश चन्द्र त्रिपाठी
सत्ता को भूखे बच्चों की याद दिलाने आया हूं।।
सत्ता को भूखे बच्चों की याद दिलाने आया हूं।।
Abhishek Soni
4156.💐 *पूर्णिका* 💐
4156.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
****भाई दूज****
****भाई दूज****
Kavita Chouhan
नारी का बदला स्वरूप
नारी का बदला स्वरूप
विजय कुमार अग्रवाल
सरस रंग
सरस रंग
Punam Pande
बसंत आने पर क्या
बसंत आने पर क्या
Surinder blackpen
साहित्य की उपादेयता
साहित्य की उपादेयता
Dr. Kishan tandon kranti
विरह रस
विरह रस
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
प
*प्रणय*
जंगल बचाओ
जंगल बचाओ
Shekhar Chandra Mitra
वक्त लगता है
वक्त लगता है
Vandna Thakur
“दोगलों की बस्ती”
“दोगलों की बस्ती”
ओसमणी साहू 'ओश'
सरकार से हिसाब
सरकार से हिसाब
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
कब बिछड़कर हम दोनों हमसफ़र हो जाए
कब बिछड़कर हम दोनों हमसफ़र हो जाए
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Loading...