घर से बेघर
घर की चपाती,
घर के आसन
के बाद,
जब,
बाहर के भटूरे,
बाहर की चमाचम,
जब अचछे लगने लगे ,
तो , नजरअंदाज कर दिया ।
मेरा ,आशियाना ,
फिर, आधुनिकता की,
आंधी भी चलने लगी,
इस ,आंधी ने,
सब ,धूल उडा दी,
मगर, किसी को,
क्या खबर,
किसी को ,क्या पडी,
हर चीज पर,
पडती जाती है, धूल।
पर,
अब, सबको,
फैशन चाहिए,
नया,नया,फैशन ,
घर का सादा भोजन,
यह रहन -सहन ,
अब ,किसी को ,
भाता नहीं,
आडंबर पसंद करने लगे,
घर का माहौल ,
अब सुहाता नहीं