घर मुझे केवल अपना पसंद है
बंगला या महल नहीं घर मुझे केवल अपना पसंद है,
थकान सारी जहां दूर हो जाए उस मां आंचल पसंद है,
जिसके निस्वार्थ पसीने से ही दौड़ रहा मेरे रगो में खून,
उस बूढ़े बाप का ताउम्र मुझे घर में ही साया पसंद है।।
बड़ी बहन से झगड़ने में ही गुजर गया मेरा जो बचपन,
उसकी रक्षा के लिए मेरी कलाई में मुझे धागा पसंद है,
परिवार के हर सदस्य की नज़रों में खास अहमियत है
घर में छोटी बहन कि मुझे दिनभर शैतानियां पसंद है।
घर में बुजुर्गों के हर स्मृतियों की अहमियत होनी चाहिए,
मुझे मेरी पुस्तैनी धरोहर की हर एक निशानियां पसंद हैं
मेरे घर की छत व रंगीन दीवारें भले बहुत सुंदर हैं लेकिन,
वजूद जिसपर टिका उनका उस नींव की मुझे हर ईंट पसंद है।।