गुजरे ज़माने वाले।
गुजरे ज़माने वाले तुझे मैं क्या नाम दूं।
जो तुझे अच्छा लगे उसी से पुकार लूं।।1।।
तेरी कल्बे तमन्ना तो जानूं चाहतों की।
फिर मैं भी उम्मीद का दामन थाम लूं।।2।।
जितना तू चाहे मैं तुझे उतना प्यार दूं।
सांसों से रूह तक मैं तुझको उतार लूं।।3।।
तू एक बार और मुझमें खुशबू सा आ।
मैं उजड़े गुलशन को फिर से बहार दूं।।4।।
ऐ काश तू अपना बनाके देख मुझको।
तो मैं फिरसे अपनी जिंदगी संवार लूं।।5।।
वक्ते मर्ग है शायद कुछ कहना है तुझे।
तू कहे तो मौत से चंद सांसे उधार लूं।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ