गम के पीछे ही खुशी है ये खुशी कहने लगी।
ग़ज़ल- 25
गम के पीछे ही खुशी है ये खुशी कहने लगी।
मौत से ही जिंदगी है जिंदगी कहने लगी।1
तुम उतर जाओ गले तो चैन कुछ आ जाएगा।
ओस की बूंदों से इक दिन तिश्नगी कहने लगी।2
ईश्वर के सामने मैं जल रही हूॅं सच तो है,
दीप बाती तेल जलते आरती कहने लगी।3
जब तलक है कार बॅंगला ऐश सारे जान लो,
तब तलक मैं हूॅं तुम्हारी प्रेयसी कहने लगी।4
चाहे जितना हो ॲंधेरा यार तू डरना नहीं,
मेरा दामन थाम ले ये रोशनी कहने लगी।5
नाम प्रभु का सत्य है प्रेमी उसी से प्यार कर।
तन बदन से दूर रहना कामिनी कहने लगी।6
……..✍️ सत्य कुमार प्रेमी