शाम
शीर्षक शाम
सच हम सबकी चाहत की शाम होती है।
हां सभी की अपनी अपनी मन की सोच रहती है
हम सभी के जीवन में कुदरत और नसीब से शाम होती है।
मन भावों में हमारे तेरी चाहत होती है।
सच शाम को जीवन में सूकुन होता है।
रंगमंच की कुदरत के हम साथ चलते हैं।
नीरज लेखनी संग शाम का सच लिखते हैं
हमारे जीवन का सच कुदरत के साथ चलता है
बस मन भावों में शाम और तेरा साथ होता है।
हां जिंदगी एक सफर का नाम बस गुजारनी होती है।
सच मन भावों में तेरे मेरे अपनी शाम की सोच होती है
………………..सच शाम होती है