ख़ामोश निगाहें
खामोश निगाहों से किया ,तूने क्या इशारा।
जाने कहां गुम हुआ,नादां सा दिल हमारा।
इधर उधर हमने बहुत ढूंढा, मिला न निशां
थोड़ा हमें समझाओ, दिल ढूंढे हम कहां।
परेशां हो रहा होगा , हमें न करीब पाकर
दिल मेरे पे अख्तियार तेरा,देखो तो आकर।
दिल की बातें दिल में ही न रह जाये यार
थोड़ा सा तो कर्म हम पर करो दिलदार।
हया इतनी कि पलकें झुकी जाती है तेरी
गरूर इतना कि बात भी सुनते नहीं मेरी।
सुरिंदर कौर