क्या होगा नये साल में
नाचती ता थैय्या काल की करताल में
मना रही जश्न पर,घिरी हूँ सवाल में
सोच रही हूँ,क्या होगा नये साल में
क्या धरा के सीने से रवि फूटेगा
या किसी निर्धन का दिल नहीं टूटेगा
रह पायेगा खुश क्या वो फटेहाल में
सोच रही हूँ क्या होगा नये साल में
क्या जीव चौपाया हवा में उड़ेगा
या निशंक दिल,दिल से जुड़ेगा
क्या मन भोला न फँसेगा किसी जाल में
सोच रही हूँ क्या होगा नये साल में
क्या घन गगन का भू पे उग आयेगा
या नर,नर से धोखा नहीं खायेगा
मन में छिपा,क्या पढ़ेंगे कपाल में
सोच रही हूँ क्या होगा नये साल में
क्या बड़े बड़े वृक्ष धावक हो जायेंगे
या पिल्ले सिंहशावक हो जायेंगे
जाने क्या लिखा है,आगत के भाल में
सोच रही हूँ क्या होगा नये साल में
✍हेमा तिवारी भट्ट✍