क्या है कोई राम
क्या है कोई राम ? ? ?
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कितनी अहिल्या
जीती जागती
बनीं शिला
हुई भावशून्य !
उसी वजह से…
जो व्यापित सतयुग से
है अब तलक ! !
लिए लालुपता
धर आवरण
कितने ही इन्द्र
तोड़ें मर्यादा
करें खंडित विश्वास…
अहिल्या हो शापित
बने परिहास ! !
कभी पत्थराई
कभी लिए उम्मीद
अपने राम की राह तकें
जो पकड़ हाथ
चले साथ…
दे सम्मान
रखे गरिमा का मान !
क्या है कोई राम ?