क्या से क्या
कभी
बर्फ की एक शिला हो जाती
हूं
कभी
आग सा तपता एक रेगिस्तान का
दरिया हो जाती हूं
मैं एक जगह ही
बैठी बैठी
ठहरी ठहरी
एक सोच के सागर सी
गहरी गहरी
कुछ न चाहते हुए भी
न जाने क्या से क्या हो जाती हूं।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001