*कौन-सो रतन बनूँ*
कैसी कठिनाई आई, नयनों में बसाऊँ कैसे,
मीठे-मीठे बैन तोहे, सांवरे सुनाऊँ कैसे?
कभी छेड़े मोहे मोरे कानन के कुंडल, कान्हा!
बही-बही जावे मोरे माथे की बिंदिया|
कभी मोहे मोहे तेरी बंसी की तान कान्हा!
जा नै उड़ाई मोरे नयनों से निंदिया| कैसी कठिनाई आई..
कभी तो लुभाए तेरे होंठों की ये लाली कान्हा!
जियरा चुराए कभी माथे का ये चन्दन|
कभी तो सुहाएं मोहे बातें तोरी मतवारी कान्हा!
और कभी मन भाए नैनों की ये चितवन| कैसी कठिनाई आई..
लाल-पीली पगड़ी पे तोरी वारी-वारी जाऊँ कान्हा!
मन करे बन जाऊँ मोतियन की लड़ी मैं|
कौन-सो जतन करूँ? कौन-सो रतन बनूँ, कान्हा!
जा सै तोरी पगड़ी में जाऊँ यूं जड़ी मैं| कैसी कठिनाई आई..