Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Sep 2020 · 1 min read

कोविड में भीख

रोटी खाओगे?वाक्य सुनते ही जैसे वो निढ़ाल हो गया।आंखे खिल गयी होठ फैलने लगे।आज तो पेट भर गया पर कल?ये सोचकर उसने अपना सिर पकड़ लिया।अब रोटी ऐसी बस्तु भी नहीं कि जीवन में एक मर्तवा खा ली जाए फिर कभी भूख ही न लगे।उसे घर के बाहर पड़ी कुछ कपड़ों की गठरी एक छोटा सा झोला उठाया और आकाश की ओर दार्शनिक भाव से ताकने लगा।तेज धूप में पसीना निकलने लगा और दो पल में ही पूरी पेशानी पर नमी आ गयी।घर के आहतो और बालकाॅनी से चेहरे उसे लगातार देख रहे थे पर वो लगातार आगे बढ़ता जा रहा था।ड्योढ़ी,बारामदों से ताकते चेहरे या सड़क पर चलता वह आदमी एक-दूसरे से नज़र खींच रहे हैं जैसे कुछ देखा ही न हो।अब ये तो आदम जाति की फ़ितरत ही है कि वो सब देखना ही चाहता है पर स्वयं की महिमा इस तरह ब्यां करते हैं जैसे उनसे कुशाग्र कोई नहीं।आदमी लौट गया!खिड़की,दरवाजे एक-एक करके बंद होते गये।पल भर शून्य जानो नेपथ्य हो।फिर अगला दिन एक नया दृश्य बालकाॅनियों से नये पुराने चेहरे
कल के प्रकरण को नये अंदाज़ में उतारने को तैयार या किसी नये मुफ़लिस को बेपर्दा करने की फ़िराक़ में….
मनोज शर्मा

Language: Hindi
Tag: लेख
2 Likes · 230 Views

You may also like these posts

न रोको यूँ हवाओं को ...
न रोको यूँ हवाओं को ...
Sunil Suman
फाग
फाग
धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर
"वक्त"के भी अजीब किस्से हैं
नेताम आर सी
सहसा यूं अचानक आंधियां उठती तो हैं अविरत,
सहसा यूं अचानक आंधियां उठती तो हैं अविरत,
Abhishek Soni
आज भी अधूरा है
आज भी अधूरा है
Pratibha Pandey
"आज का दौर"
Dr. Kishan tandon kranti
टूटे हुए पथिक को नई आश दे रहीं हो
टूटे हुए पथिक को नई आश दे रहीं हो
Er.Navaneet R Shandily
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को समर्पित
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को समर्पित
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
यादें अपनी बेच कर,चला गया फिर वक्त
यादें अपनी बेच कर,चला गया फिर वक्त
RAMESH SHARMA
माँ को दिवस नहीं महत्व चाहिए साहिब
माँ को दिवस नहीं महत्व चाहिए साहिब
मिथलेश सिंह"मिलिंद"
उस रिश्ते की उम्र लंबी होती है,
उस रिश्ते की उम्र लंबी होती है,
शेखर सिंह
आश भरी ऑखें
आश भरी ऑखें
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
आजादी का दिवस मनाएं
आजादी का दिवस मनाएं
Dr Archana Gupta
अंधकार फैला है इतना उजियारा सकुचाता है
अंधकार फैला है इतना उजियारा सकुचाता है
Shweta Soni
महाराजा अग्रसेन, प्राचीन अग्रोहा और अग्रवाल समाज
महाराजा अग्रसेन, प्राचीन अग्रोहा और अग्रवाल समाज
Ravi Prakash
होली के रंग
होली के रंग
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
या खुदा तूने मुझे ये कैसा मंजर दिखाया है,
या खुदा तूने मुझे ये कैसा मंजर दिखाया है,
Jyoti Roshni
दीपावली की दीपमाला
दीपावली की दीपमाला
Khajan Singh Nain
वीरता रो बखांण
वीरता रो बखांण
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
सि
सि
*प्रणय*
सवाल करूंगा
सवाल करूंगा
पूर्वार्थ
आनंद वर्धक / पीयूष वर्ष छंद विधान सउदाहरण
आनंद वर्धक / पीयूष वर्ष छंद विधान सउदाहरण
Subhash Singhai
मुलाकात !
मुलाकात !
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
2897.*पूर्णिका*
2897.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
रूठी नदी
रूठी नदी
Usha Gupta
वो ऊनी मफलर
वो ऊनी मफलर
Atul "Krishn"
मेरी निजी जुबान है, हिन्दी ही दोस्तों
मेरी निजी जुबान है, हिन्दी ही दोस्तों
SHAMA PARVEEN
कविता -
कविता - " रक्षाबंधन इसको कहता ज़माना है "
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
World Books Day
World Books Day
Tushar Jagawat
मन  बंजारा  लौट  चला  है, देखी  दुनियादारी।
मन बंजारा लौट चला है, देखी दुनियादारी।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
Loading...