कोई बात नहीं
क्या लिखना था कुछ याद नहीं
क्या कहना था कोई बात नहीं
तुम याद ना आओ, मैं सोऊँ
आई ऐसी कोई रात नहीं
भौं भुटती है दिन चढ़ता है
सूरज की क्यों कोई जात नहीं
तुमको दिखलाउँ ज़ोर मेरा
अपनी इतनी औकात नहीं
कोई बात नहीं कोई बात नहीं
तुम आओ चाहे ना आओ
कोई बात नहीं कोई बात नहीं
प्रीत मेरी बस इतनी थी इतनी ही है
नैनो से परे जज़्बात नहीं
क्या कहना था कोई बात नहीं
क्या लिखना था कुछ याद नहीं
कोई बात नहीं…
कोई बात नहीं…
-मोहन