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21 Feb 2017 · 1 min read

—कुदरत—

तेरी हर चीज गुलाम है
हम सब भी तो बेजान हैं
तेरा प्यार कब बरसे
और कब बरस जाये तेरा कहर
न जाने क्या क्या
रंग दिखा जाये तेरा यह पहर
कभी धुप और कभी छाँव
कभी बदरा और कभी वर्षा प्रवाह
कल कल करती हवा जा झोका
कानो को संगीत सुना रही
तेरी बनाई हर चीज
बस तेरे ही गुण गा रही
आज फिर वो सर्द रात
की दस्तक , तेरी बर्फीली
हवा से पास आ रही
अब लगने लगा है
फिर से सर्द ऋतू पास आ रही
ओढने का सामान फिर
से नजर आने लगा
हर प्राणी भी धरा पर
तेरे गीत गाने लगा !!

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

Language: Hindi
461 Views
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