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20 Jul 2023 · 1 min read

यहाँ प्रयाग न गंगासागर,

यहाँ प्रयाग न गंगासागर,
यहाँ न रामेश्वर, काशी।
कहाँ यही है तीर्थ हमारा,
चितोड़ चले बन संन्यासी।

केसरिया बाना को पहने,
मस्तक पर तिलक लगाये।
एकलिंग के गूंजे जय कारे ,
दिलेर वीर-गति लेने निकले

अनिल चौबिसा चित्तौड़गढ़
9829246588

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