दुःख दर्द से भरी जिंदगी
अब ये पूछने से कोई फायदा नहीं
कि क्या हाल है मेरा?
क्यूंकि…,
अपनी दुख तकलीफ़ में
हमेशा खुदको तन्हा पाया है मैंने
गैरों से कहीं ज्यादा तो
अपनों से ही दुःख दर्द पाया है मैंने
सबको अपना मानकर,
उनपर भरोसा करके,
उन्हें अपनी जिंदगी में शामिल करके,
आज बहुत पछता रही हूं मैं।
— सुमन मीना (अदिति)
लेखिका एवं साहित्यकार