Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Feb 2022 · 1 min read

*किस शहर में रहना पड़े (गीतिका)*

किस शहर में रहना पड़े (गीतिका)
■■■■■■■■■■■■■■■■■
(1)
कौन जाने किसके घर को ,अपना घर कहना पड़े
क्या पता किस मोड़ पर ,किस शहर में रहना पड़े
(2)
अपनी गली-अपने मौहल्ले ,स्वप्न- से हो जाएँ न
कब हवा के संग ,खुशबू की तरह बहना पड़े
(3)
बोला करती जिनकी तूती ,है नवाबों की तरह
वक्त का चाबुक उन्हें भी ,क्या पता सहना पड़े
(4)
नाज अपने रूप पर है ,जिस इमारत को बहुत
क्या पता उसको भी एक प्रहार में ढहना पड़े
(5)
करवट बदलना मौसमों की है सदा आदत रही
शीत के फिर बाद शायद ,आग में दहना पड़े
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 9997615451

331 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
इस क्षितिज से उस क्षितिज तक देखने का शौक था,
इस क्षितिज से उस क्षितिज तक देखने का शौक था,
Smriti Singh
मेरे होंठों पर
मेरे होंठों पर
Surinder blackpen
संवेदनायें
संवेदनायें
Dr.Pratibha Prakash
#सनातन_सत्य
#सनातन_सत्य
*Author प्रणय प्रभात*
राष्ट्र निर्माता गुरु
राष्ट्र निर्माता गुरु
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
Ab kya bataye ishq ki kahaniya aur muhabbat ke afsaane
Ab kya bataye ishq ki kahaniya aur muhabbat ke afsaane
गुप्तरत्न
...........
...........
शेखर सिंह
मैं स्वयं को भूल गया हूं
मैं स्वयं को भूल गया हूं
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
क्षणिका
क्षणिका
sushil sarna
वो इश्क की गली का
वो इश्क की गली का
साहित्य गौरव
*वो बीता हुआ दौर नजर आता है*(जेल से)
*वो बीता हुआ दौर नजर आता है*(जेल से)
Dushyant Kumar
बीमार घर/ (नवगीत)
बीमार घर/ (नवगीत)
ईश्वर दयाल गोस्वामी
Armano me sajaya rakha jisse,
Armano me sajaya rakha jisse,
Sakshi Tripathi
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
12, कैसे कैसे इन्सान
12, कैसे कैसे इन्सान
Dr Shweta sood
खिलेंगे फूल राहों में
खिलेंगे फूल राहों में
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
गिनती
गिनती
Dr. Pradeep Kumar Sharma
*मेरे साथ तुम हो*
*मेरे साथ तुम हो*
Shashi kala vyas
कोहरा
कोहरा
Ghanshyam Poddar
मुकाम
मुकाम
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
ग़ज़ल - ज़िंदगी इक फ़िल्म है -संदीप ठाकुर
ग़ज़ल - ज़िंदगी इक फ़िल्म है -संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
"नग्नता, सुंदरता नहीं कुरूपता है ll
Rituraj shivem verma
🩸🔅🔅बिंदी🔅🔅🩸
🩸🔅🔅बिंदी🔅🔅🩸
Dr. Vaishali Verma
Lines of day
Lines of day
Sampada
"जीवन की सार्थकता"
Dr. Kishan tandon kranti
23/32.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/32.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
नए सफर पर चलते है।
नए सफर पर चलते है।
Taj Mohammad
दुख में भी मुस्कुराएंगे, विपदा दूर भगाएंगे।
दुख में भी मुस्कुराएंगे, विपदा दूर भगाएंगे।
डॉ.सीमा अग्रवाल
ये
ये
Shweta Soni
प्रात काल की शुद्ध हवा
प्रात काल की शुद्ध हवा
लक्ष्मी सिंह
Loading...