किससे कहे दिल की बात को हम
****** घूमते घुमंतू गाड़ी लुहार ******
सपने
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
दस्त बदरिया (हास्य-विनोद)
आज का चयनित छंद"रोला"अर्ध सम मात्रिक
" लक्ष्य सिर्फ परमात्मा ही हैं। "
*राजा और रियासतें , हुईं राज्य सरकार (कुंडलिया)*
ये मेरा स्वयं का विवेक है
ग़ज़ल/नज़्म - मेरे महबूब के दीदार में बहार बहुत हैं
"रिश्ता" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
ईश्वर नाम रख लेने से, तुम ईश्वर ना हो जाओगे,
हब्स के बढ़ते हीं बारिश की दुआ माँगते हैं
नाम:- प्रतिभा पाण्डेय "प्रति"
हर एक मंजिल का अपना कहर निकला