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5 Apr 2024 · 1 min read

कातिल

कैसा गजब का मंजर वो
न रक्त का एक बूंद गिरा
न किसी ने किसी पर
कोई गोली चलाई
न कोई किसी से
तनिक मात खाई
न ही धुआँ उठा
न किसी ने आग लगाई
फिर भी कत्ल हो गया
जब आहिस्ते से
वो कातिल
अपना घूँघट उठाई।

डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति

Language: Hindi
3 Likes · 4 Comments · 86 Views
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