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9 Feb 2024 · 1 min read

“कहीं तुम”

“कहीं तुम”
मेरी अन्धेरी राहें भी आज
आफ़ताब बन गई हैं,
कहीं तुम दरवाजे पर
चिराग जलाकर तो नहीं बैठी.

6 Likes · 3 Comments · 196 Views
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