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29 Sep 2023 · 1 min read

हमारी लता दीदी

हर गुरूर से दूर तू,
भारत का इक नूर तू।
रोशन हुआ दिल का चिराग,
तपिश ऐसी तेरी आवाज की।
खुमारी न उतरी आज तक,
सुरूर ऐसी तेरी आवाज की।
सिजदा करें काफ़िर भी,
गहराई ऐसी तेरी आवाज की।
बंधे ईश्वर और अल्लाह भी,
सूत्र में तेरी आवाज की।
पावन किया हर भाषा को,
पिरो कर एक माला में।
भाषावाद में बंटे देश को,
बांधा एक बंधन में ।
यूँ तो थी आप सबकी दीदी,
पर निभाया हर रिश्ता अपनी आवाज से।
कभी मां यशोदा बन, नटखट कान्हा से की शिकायत,
तो कभी प्रेम दीवानी मीरा बन, खोयी अपनी सुधि।
गान कोकिला बन, हरषाया जनमानस को।
बरसायी प्रेम, प्रेरणा, त्याग, तपस्या और करुणाभाव।
आपकी आवाज ही नहीं, आपकी शख्शियत भी है एक पहचान।
सफेद साड़ी, मासूम, मुस्कुराहट, आभापूर्ण मुखमंडल,
जैसे स्वयं सत्यम शिवम सुंदरम हों सम्मुख।
ऐसी थी दीदी ,हम सबकी दीदी, लता दीदी।

Language: Hindi
7 Likes · 155 Views
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