Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 May 2024 · 1 min read

हरियर जिनगी म सजगे पियर रंग

हरियर जिनगी म सजगे पियर रंग
अब चलना हे मयारू तोरे संग

22 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मन्नतों के धागे होते है बेटे
मन्नतों के धागे होते है बेटे
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
मैं इस दुनिया का सबसे बुरा और मुर्ख आदमी हूँ
मैं इस दुनिया का सबसे बुरा और मुर्ख आदमी हूँ
Jitendra kumar
"दरी दादी"
Dr. Kishan tandon kranti
*बहन और भाई के रिश्ते, का अभिनंदन राखी है (मुक्तक)*
*बहन और भाई के रिश्ते, का अभिनंदन राखी है (मुक्तक)*
Ravi Prakash
चाहे हमको करो नहीं प्यार, चाहे करो हमसे नफ़रत
चाहे हमको करो नहीं प्यार, चाहे करो हमसे नफ़रत
gurudeenverma198
रास्ते
रास्ते
Ritu Asooja
कभी ज्ञान को पा इंसान भी, बुद्ध भगवान हो जाता है।
कभी ज्ञान को पा इंसान भी, बुद्ध भगवान हो जाता है।
Monika Verma
चार पैसे भी नही....
चार पैसे भी नही....
Vijay kumar Pandey
5
5"गांव की बुढ़िया मां"
राकेश चौरसिया
सिर्फ पार्थिव शरीर को ही नहीं बल्कि जो लोग जीते जी मर जाते ह
सिर्फ पार्थिव शरीर को ही नहीं बल्कि जो लोग जीते जी मर जाते ह
पूर्वार्थ
नदी का किनारा ।
नदी का किनारा ।
Kuldeep mishra (KD)
जवान वो थी तो नादान हम भी नहीं थे,
जवान वो थी तो नादान हम भी नहीं थे,
जय लगन कुमार हैप्पी
Kahi pass akar ,ek dusre ko hmesha ke liye jan kar, hum dono
Kahi pass akar ,ek dusre ko hmesha ke liye jan kar, hum dono
Sakshi Tripathi
■ ये डाल-डाल, वो पात-पात। सब पंछी इक डाल के।।
■ ये डाल-डाल, वो पात-पात। सब पंछी इक डाल के।।
*Author प्रणय प्रभात*
किंकर्तव्यविमूढ़
किंकर्तव्यविमूढ़
Shyam Sundar Subramanian
मैं जब भी लड़ नहीं पाई हूँ इस दुनिया के तोहमत से
मैं जब भी लड़ नहीं पाई हूँ इस दुनिया के तोहमत से
Shweta Soni
मन तेरा भी
मन तेरा भी
Dr fauzia Naseem shad
गर कभी आओ मेरे घर....
गर कभी आओ मेरे घर....
Santosh Soni
“अकेला”
“अकेला”
DrLakshman Jha Parimal
शबनम छोड़ जाए हर रात मुझे मदहोश करने के बाद,
शबनम छोड़ जाए हर रात मुझे मदहोश करने के बाद,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
दोस्ती का मर्म (कविता)
दोस्ती का मर्म (कविता)
Monika Yadav (Rachina)
@घर में पेड़ पौधे@
@घर में पेड़ पौधे@
DR ARUN KUMAR SHASTRI
बरखा
बरखा
Dr. Seema Varma
प्रतीक्षा
प्रतीक्षा
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
मेरी निजी जुबान है, हिन्दी ही दोस्तों
मेरी निजी जुबान है, हिन्दी ही दोस्तों
SHAMA PARVEEN
* सहारा चाहिए *
* सहारा चाहिए *
surenderpal vaidya
श्रीराम वन में
श्रीराम वन में
नवीन जोशी 'नवल'
3479🌷 *पूर्णिका* 🌷
3479🌷 *पूर्णिका* 🌷
Dr.Khedu Bharti
मेरी बात अलग
मेरी बात अलग
Surinder blackpen
आया बसंत
आया बसंत
Seema gupta,Alwar
Loading...