“कवि के हृदय में”
कवि के हृदय में
क्या नहीं है,
उसमें जो है
वो कहीं नहीं है?
मेघों का दर्द
बिजली की तड़प
घटाओं के आँसू
चाँद की चमक
सितारों की जलन
सिसकती पवन
फूलों की आहें
काँटों भरी राहें
वेदनाओं को पीती
उनींदी सी आँखें
जो रोती नहीं है,
कवि के हृदय में
क्या नहीं है?
मेरी प्रकाशित काव्य-कृति :
‘पनघट’ से
रचना की चन्द पंक्तियाँ
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
हरफनमौला साहित्य लेखक।