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19 Jan 2022 · 1 min read

कवि की परिभाषा

कहते कवि उसको सदा,समझे जग का मर्म।
सुख -दुख की अभिभूत होे, माने कविता धर्म।।
माने कविता धर्म, कर्म कविता को लिखना।
सरस-छंद या मुक्त, प्रवाह सुसज्जित दिखना।।
कविता ऐसी होय ,दिखे जिसमें सच की छवि।
पाठक जाए रीझ,वही होता उत्तम कवि।।

**माया शर्मा,पंचदेवरी,गोपालगंज(बिहार)*

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