कलम
गोरी पन्ने पर खींच दो तो दाग है यह
कमजोर लोगों का ब्रह्मास्त्र है यह
भ्रष्ट से भ्रष्ट सब डरते हैं
जाने गोरे पन्नों पर छोड़ देता
कौन सा दाग है यह
यह सत्य असत्य लिखता जाता है
आपकी भावनाओं को
शादे पन्नों पर पिरोता जाता है
निर्जीव होते हुए भी
सजीव का आभास कराता है
ईश्वर नहीं इसे लेखनी कहा जाता है
सुशील चौहान
फारबिसगंज अररिया बिहार