Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 May 2024 · 1 min read

“कभी”

“कभी”
कभी सारी दुनिया से
लड़ लेता हूँ अकेले,
कभी अपने ही साया से
डर सा जाता हूँ मैं।

3 Likes · 3 Comments · 86 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr. Kishan tandon kranti
View all
You may also like:
"चाहत का सफर"
Dr. Kishan tandon kranti
दोहा- मीन-मेख
दोहा- मीन-मेख
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
दिल टूटने का डर न किसीको भी सताता
दिल टूटने का डर न किसीको भी सताता
Johnny Ahmed 'क़ैस'
"हार व जीत तो वीरों के भाग्य में होती है लेकिन हार के भय से
डॉ कुलदीपसिंह सिसोदिया कुंदन
*छह माह (बाल कविता)*
*छह माह (बाल कविता)*
Ravi Prakash
दो पंक्तियां
दो पंक्तियां
Vivek saswat Shukla
* चांद के उस पार *
* चांद के उस पार *
surenderpal vaidya
किसी मुस्क़ान की ख़ातिर ज़माना भूल जाते हैं
किसी मुस्क़ान की ख़ातिर ज़माना भूल जाते हैं
आर.एस. 'प्रीतम'
कुछ अच्छे गुण लोगों को महान बनाते हैं,
कुछ अच्छे गुण लोगों को महान बनाते हैं,
Ajit Kumar "Karn"
"शिष्ट लेखनी "
DrLakshman Jha Parimal
मेरी किस्मत
मेरी किस्मत
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
देख तिरंगा मन डोला
देख तिरंगा मन डोला
Pratibha Pandey
समझा दिया
समझा दिया
sushil sarna
World Books Day
World Books Day
Tushar Jagawat
😊अनुभूति😊
😊अनुभूति😊
*प्रणय*
फूल और कांटे
फूल और कांटे
अखिलेश 'अखिल'
"घर घर की कहानी"
Yogendra Chaturwedi
नुकसान हो या मुनाफा हो
नुकसान हो या मुनाफा हो
Manoj Mahato
क़िस्मत से जो मिले, वो नियामत है दोस्ती,
क़िस्मत से जो मिले, वो नियामत है दोस्ती,
Neelofar Khan
Dr. Arun Kumar Shastri – Ek Abodh Balak – Arun Atript
Dr. Arun Kumar Shastri – Ek Abodh Balak – Arun Atript
DR ARUN KUMAR SHASTRI
फ़ुरसत से निकालों वक्त, या अपना वक्त अपने पास रखो;
फ़ुरसत से निकालों वक्त, या अपना वक्त अपने पास रखो;
ओसमणी साहू 'ओश'
4808.*पूर्णिका*
4808.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
भटकता पंछी !
भटकता पंछी !
Niharika Verma
1🌹सतत - सृजन🌹
1🌹सतत - सृजन🌹
Dr .Shweta sood 'Madhu'
रेत मुट्ठी से फिसलता क्यूं है
रेत मुट्ठी से फिसलता क्यूं है
Shweta Soni
हाइकु - 1
हाइकु - 1
Sandeep Pande
Oh, what to do?
Oh, what to do?
Natasha Stephen
ये धरती महान है
ये धरती महान है
Santosh kumar Miri
लड़ता रहा जो अपने ही अंदर के ख़ौफ़ से
लड़ता रहा जो अपने ही अंदर के ख़ौफ़ से
अंसार एटवी
खुला आसमान
खुला आसमान
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
Loading...