“कभी मेरा ज़िक्र छीड़े”
कभी मेरा ज़िक्र छिड़े,
तो कह देना एक मतलबी सा लड़का था, जो बेमतलब मुझसे इश्क़ करता था,
ज़िस्म की चाह नहीं थी उसे बस मेरी रूह पे वो मरता था,
किसी होटल के कमरे तक नहीं, मुझे मंडप तक लेकर जाना चाहता था,
कभी मेरा ज़िक्र छिड़े, तो कह देना एक मतलबी सा लड़का था,
कह देना एक नंबर का नाकारा था, सपने दिखा कर सरहद में कहीं खो जाता था,
झूठा था दर्द में भी मुस्कुराता था,
चोट मुझे लगती तो चीख वो जाता था, बड़ा मतलबी सा लड़का अपनी आँखों में आँसू भी छुपा लेता था,
कह देना बेहया था देख मुझे किसी और के साथ फ़िर भी मुझसे ही इश्क़ करता था,
इस बदलती मोहब्बत के ज़माने में वो मेरी खूबसूरती से नहीं मेरी सादगी से मोहब्बत करता था,
कभी मेरा ज़िक्र छिड़े तो कह देना एक मतलबी सा लड़का था जो बेमतलब मुझसे इश्क़ करता था।
“लोहित टम्टा”💓