Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Oct 2023 · 1 min read

कतरनों सा बिखरा हुआ, तन यहां

कतरनों सा बिखरा हुआ, तन यहां
दर्ज़ी भी कर दे मना,जिसे सीलने से।
फकत अपने वंश की खातिर सह रहा है,
वर्ना फ़र्क नहीं पड़ता लड़कियों के जीने से।
रख कर उपवास दिखावे का फिर वह
खींच लेता है आंचल,मां के सीने से।
सिसकियों की आवाजें फज़ा में घुली है,
मिटतीं नहीं है,जो कभी मिटाने से ।
आधुनिकता ने नई ऊंचाईयां दि है हमें,
गर्त में धंसने को नहीं कहा है किसी ने।

2 Likes · 326 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

मिटाने से मिट जाती यहां, दिल की दूरियां
मिटाने से मिट जाती यहां, दिल की दूरियां
Suryakant Dwivedi
ढोलकों की थाप पर फगुहा सुनाई दे रहे।
ढोलकों की थाप पर फगुहा सुनाई दे रहे।
सत्य कुमार प्रेमी
कोशी मे लहर
कोशी मे लहर
श्रीहर्ष आचार्य
चारू कात देख दुनियां कें,सोचि रहल छी ठाड़ भेल !
चारू कात देख दुनियां कें,सोचि रहल छी ठाड़ भेल !
DrLakshman Jha Parimal
मानसिक तनाव यह नहीं है की आप आत्महत्या का रास्ता चुन लेते है
मानसिक तनाव यह नहीं है की आप आत्महत्या का रास्ता चुन लेते है
पूर्वार्थ देव
भरोसे का बना रहना
भरोसे का बना रहना
surenderpal vaidya
"हमें चाहिए बस ऐसा व्यक्तित्व"
Ajit Kumar "Karn"
खो गया सपने में कोई,
खो गया सपने में कोई,
Mohan Pandey
वादों की रस्सी में तनाव आ गया है
वादों की रस्सी में तनाव आ गया है
sushil yadav
ये रात पहली जैसी नहीं
ये रात पहली जैसी नहीं
Befikr Lafz
कवि और कलम
कवि और कलम
Meenakshi Bhatnagar
लौट के आजा हनुमान
लौट के आजा हनुमान
Baldev Chauhan
आदतें
आदतें
Sanjay ' शून्य'
ज्वाला सी जीवन ज्योति
ज्वाला सी जीवन ज्योति
कार्तिक नितिन शर्मा
उत्तम देह
उत्तम देह
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
आखिरी खत
आखिरी खत
Kaviraag
गुस्सा
गुस्सा
Rekha khichi
हे, वंशीधर! हे, त्रिपुरारी !!
हे, वंशीधर! हे, त्रिपुरारी !!
अमित कुमार
कविता
कविता
Nmita Sharma
क़ानून
क़ानून
Shashi Mahajan
हम  बुज़ुर्गों  पर दुआओं के सिवा कुछ भी नहीं
हम बुज़ुर्गों पर दुआओं के सिवा कुछ भी नहीं
पूर्वार्थ
" सितम "
Dr. Kishan tandon kranti
*जीवन में जो पाया जिसने, उस से संतुष्टि न पाता है (राधेश्याम
*जीवन में जो पाया जिसने, उस से संतुष्टि न पाता है (राधेश्याम
Ravi Prakash
4519.*पूर्णिका*
4519.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मैं हिंदी में इस लिए बात करता हूं क्योंकि मेरी भाषा ही मेरे
मैं हिंदी में इस लिए बात करता हूं क्योंकि मेरी भाषा ही मेरे
Rj Anand Prajapati
प्राणवल्लभा
प्राणवल्लभा
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
#ग़ज़ल
#ग़ज़ल
*प्रणय प्रभात*
आतें हैं जब साथ सब लोग,
आतें हैं जब साथ सब लोग,
Divakriti
ये बेपरवाही जंचती है मुझ पर,
ये बेपरवाही जंचती है मुझ पर,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
***इतना जरूर कहूँगा ****
***इतना जरूर कहूँगा ****
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
Loading...