Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 May 2020 · 1 min read

ऐसा कब हो….

ऐसा कब हो…

खुशियों के पल ,
न कोई कोलाहल ,
अपनो का हाथ,
रिश्तों का साथ,

परिवार का सहारा,
फिर कैसे जाए हारा?
यह जो है सबका संग,
भरते है जीवन मे नवरंग,

टूटती अंधेरे की रेखाएं,
खुलती खुशियों की सीमाएं ,
प्रेम स्नेह के अनमोल मोती,
ईर्ष्या अपना अस्तित्व खोती,

जब……..
खुद को बदले,
हम सबसे पहले,
जग बदल जाएगा,
हृदय खुशी से भर जाएगा,

अपेक्षा दुःख का कारण,
पास रखती अपने रण,
पूरी न हो तो मन विचलित,
निराशा घेर लेती फिर चित्त ,

सीमित इच्छाएं,
संतुष्टि पाए,
सुख का आधार,
यही मेरे विचार,

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 431 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from जगदीश लववंशी
View all
You may also like:
कोरोना काल मौत का द्वार
कोरोना काल मौत का द्वार
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
समय
समय
नूरफातिमा खातून नूरी
जमात
जमात
AJAY AMITABH SUMAN
International plastic bag free day
International plastic bag free day
Tushar Jagawat
यूँ तो हम अपने दुश्मनों का भी सम्मान करते हैं
यूँ तो हम अपने दुश्मनों का भी सम्मान करते हैं
ruby kumari
हमारे बुजुर्ग
हमारे बुजुर्ग
Indu Singh
रेस का घोड़ा
रेस का घोड़ा
Naseeb Jinagal Koslia नसीब जीनागल कोसलिया
जुआं में व्यक्ति कभी कभार जीत सकता है जबकि अपने बुद्धि और कौ
जुआं में व्यक्ति कभी कभार जीत सकता है जबकि अपने बुद्धि और कौ
Rj Anand Prajapati
मैंने जलते चूल्हे भी देखे हैं,
मैंने जलते चूल्हे भी देखे हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
अफ़सोस
अफ़सोस
Shekhar Chandra Mitra
3342.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3342.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
खुशबू बनके हर दिशा बिखर जाना है
खुशबू बनके हर दिशा बिखर जाना है
VINOD CHAUHAN
बिन सूरज महानगर
बिन सूरज महानगर
Lalit Singh thakur
दर जो आली-मकाम होता है
दर जो आली-मकाम होता है
Anis Shah
"A Dance of Desires"
Manisha Manjari
सब धरा का धरा रह जायेगा
सब धरा का धरा रह जायेगा
Pratibha Pandey
’शे’र’ : ब्रह्मणवाद पर / मुसाफ़िर बैठा
’शे’र’ : ब्रह्मणवाद पर / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
शब्द
शब्द
Sûrëkhâ
सूर्योदय
सूर्योदय
Madhu Shah
संविधान ग्रंथ नहीं मां भारती की एक आत्मा 🇮🇳
संविधान ग्रंथ नहीं मां भारती की एक आत्मा 🇮🇳
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
कुछ मन्नतें पूरी होने तक वफ़ादार रहना ऐ ज़िन्दगी.
कुछ मन्नतें पूरी होने तक वफ़ादार रहना ऐ ज़िन्दगी.
पूर्वार्थ
*वीरस्य भूषणम् *
*वीरस्य भूषणम् *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
प्रिय आँसू तुम्हारे बिना ये आँखें, जैसे सूखी धरती की प्यास,त
प्रिय आँसू तुम्हारे बिना ये आँखें, जैसे सूखी धरती की प्यास,त
Rituraj shivem verma
जब हर एक दिन को शुभ समझोगे
जब हर एक दिन को शुभ समझोगे
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
कोई होटल की बिखरी ओस में भींग रहा है
कोई होटल की बिखरी ओस में भींग रहा है
Akash Yadav
साए
साए
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
"एजेंट" को "अभिकर्ता" इसलिए, कहा जाने लगा है, क्योंकि "दलाल"
*प्रणय प्रभात*
"दिमागी गुलामी"
Dr. Kishan tandon kranti
पापा गये कहाँ तुम ?
पापा गये कहाँ तुम ?
Surya Barman
...........
...........
शेखर सिंह
Loading...