Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Mar 2019 · 2 min read

एक चिंगारी से “आदित्य” बनाने आया हूँ

घट में मेरे प्राण रहे ना रहे
तरकश में मेरे बाण रहे ना रहे
हाथों में मेरे प्रमाण रहे ना रहे
इस युद्धभूमि में कर्ण सा
केवल अपना वचन निभाने आया हूँ
एक जुगनू होकर भी मैं यहाँ दिव्य दिनकर से टकराने आया हूँ।
जीवन में मेरे शान रहे ना रहे
सोच में मेरे ध्यान रहे ना रहे
अंगों में मेरे जान रहे ना रहे
इस दुनिया में स्टीफेन हाकिंग सा
केवल कर्तव्य का बोध कराने आया हूँ
एक चिंगारी होकर भी मैं ब्रह्मांड में नया”आदित्य”बनाने आया हूँ।
माथे में मेरे चंदन रहे ना रहे
होठों में मेरे वंदन रहे ना रहे
आचरण में मेरे अभिनंदन रहे ना रहे
इस धरा में स्वामी विवेकानंद सा
केवल ज्ञान की गंगा बहाने आया हूँ
एक बूंद जल का होकर भी मैं सागर की प्यास बुझाने आया हूँ।
मृत्यु में मेरे विलंब रहे ना रहे
कालचक्र में मेरे अवलंब रहे ना रहे
श्वांस में मेरे स्वालंब रहे ना रहे
इस सम्पूर्ण जीवन में अब्दुल कलाम सा
केवल मानवता का पाठ पढ़ाने आया हूँ
एक मानव होकर भी मैं भगवान का साक्षात स्वरूप दिखाने आया हूँ।
राष्ट्र में मेरे उद्गार रहे ना रहे
भारत के मन में मेरे विचार रहे ना रहे
अखबार में मेरे समाचार रहे ना रहे
इस भारत की माटी में भगत सिंह सा
केवल देशधर्म पर अपनी बलि चढ़ाने आया हूँ
एक अकिंचन होकर भी मैं देशप्रेम की प्रचंड आग लगाने आया हूँ।
रक्त में मेरे प्रवाह रहे ना रहे
सबके मुख में मेरे लिए वाह रहे ना रहे
हृदय में मेरे शेष आह रहे ना रहे
इस मृत्युलोक में सरदार गुरु गोविंद सा
केवल शौर्य का विजय परचम फहराने आया हूँ
एक तीतर होकर भी मैं स्वयं को बाज से आज लड़ाने आया हूँ

पूर्णतः मौलिक स्वरचित सृजन
आदित्य कुमार भारती
टेंगनमाड़ा, बिलासपुर, छ.ग.

Language: Hindi
1 Like · 496 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
दर्द को उसके
दर्द को उसके
Dr fauzia Naseem shad
धन जमा करने की प्रवृत्ति मनुष्य को सदैव असंतुष्ट ही रखता है।
धन जमा करने की प्रवृत्ति मनुष्य को सदैव असंतुष्ट ही रखता है।
Paras Nath Jha
ढ़ूंढ़ रहे जग में कमी
ढ़ूंढ़ रहे जग में कमी
लक्ष्मी सिंह
👍👍👍
👍👍👍
*Author प्रणय प्रभात*
अश्रु से भरी आंँखें
अश्रु से भरी आंँखें
डॉ माधवी मिश्रा 'शुचि'
बेदर्दी मौसम🙏
बेदर्दी मौसम🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
मत याद करो बीते पल को
मत याद करो बीते पल को
Surya Barman
पुण्य आत्मा
पुण्य आत्मा
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
निर्मम क्यों ऐसे ठुकराया....
निर्मम क्यों ऐसे ठुकराया....
डॉ.सीमा अग्रवाल
मनोहन
मनोहन
Seema gupta,Alwar
बिखरे खुद को, जब भी समेट कर रखा, खुद के ताबूत से हीं, खुद को गवां कर गए।
बिखरे खुद को, जब भी समेट कर रखा, खुद के ताबूत से हीं, खुद को गवां कर गए।
Manisha Manjari
!! प्रार्थना !!
!! प्रार्थना !!
Chunnu Lal Gupta
लड़को की समस्या को व्यक्त किया गया है। समाज में यह प्रचलन है
लड़को की समस्या को व्यक्त किया गया है। समाज में यह प्रचलन है
पूर्वार्थ
ना धर्म पर ना जात पर,
ना धर्म पर ना जात पर,
Gouri tiwari
तेरी यादों ने इस ओर आना छोड़ दिया है
तेरी यादों ने इस ओर आना छोड़ दिया है
Bhupendra Rawat
लौट आयी स्वीटी
लौट आयी स्वीटी
Kanchan Khanna
*सपनों का बादल*
*सपनों का बादल*
Poonam Matia
पुस्तक समीक्षा-सपनों का शहर
पुस्तक समीक्षा-सपनों का शहर
दुष्यन्त 'बाबा'
छोटी-छोटी खुशियों से
छोटी-छोटी खुशियों से
Harminder Kaur
नहीं खुलती हैं उसकी खिड़कियाँ अब
नहीं खुलती हैं उसकी खिड़कियाँ अब
Shweta Soni
पाला जाता घरों में, वफादार है श्वान।
पाला जाता घरों में, वफादार है श्वान।
महेश चन्द्र त्रिपाठी
*विभाजन-विभीषिका : दस दोहे*
*विभाजन-विभीषिका : दस दोहे*
Ravi Prakash
तेरी ख़ामोशी
तेरी ख़ामोशी
Anju ( Ojhal )
NEEL PADAM
NEEL PADAM
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
मेरे दिल में मोहब्बत आज भी है
मेरे दिल में मोहब्बत आज भी है
कवि दीपक बवेजा
Have faith in your doubt
Have faith in your doubt
AJAY AMITABH SUMAN
2581.पूर्णिका
2581.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
हद
हद
Ajay Mishra
मां
मां
Monika Verma
मेरी कविता
मेरी कविता
Raju Gajbhiye
Loading...