Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Jul 2023 · 4 min read

लौट आयी स्वीटी

विद्यालय में अंग्रेजी का पीरियड ले रही स्वीटी चौंक गयी, जब कक्षा का एक छात्र उठकर यह कहता हुआ कक्षा से बाहर बिना उससे अनुमति लिए दौड़ गया कि हवाईजहाज की आवाज आ रही है। मैं बाहर मैदान में जाकर आसमान में उड़ते हवाईजहाज को देखूँगा। उसके इस तरह कक्षा से बाहर जाने पर एकाग्रता से पढ़ाती स्वीटी का ध्यान अपने विषय से हट गया, बाकी विद्यार्थी भी कुछ डिस्टर्ब से हो गये और स्वीटी अपना पीरियड वहीं बीच में छोड़कर कक्षा से उठकर स्टाफरूम में चली आयी।
कुछ देर वहाँ रूकने पर उसने स्वयं को विचलित महसूस किया और छुट्टी का निर्णय कर प्रिंसिपल को अपनी तबीयत ठीक न होने का कहकर छुट्टी लेकर वह घर चली आयी। घर लौटकर स्वीटी ने मुँह-हाथ धोये और रसोई में जाकर अपने लिए एक कप चाय बनायी। चाय लेकर वह बेडरूम में चली आयी और बेड के समीप पड़ी साइड टेबल पर चाय रखकर आँखें बंद करके वह बेड पर लेट गयी। स्कूल में आज घटी एक‌ सामान्य सी घटना ने उसे कुछ इस प्रकार अव्यवस्थित सा महसूस करा दिया था कि न चाहते हुए भी वह अपने अतीत में पहुँच गयी।
लगभग सात वर्ष पूर्व पंजाब के एक‌ गाँव में अपने माता-पिता व‌ बड़े भाई के परिवार साथ ‌रहने वाली स्वीटी अपने नाम के अनुसार ही स्वभाव से मधुर, हँसमुख व दिखने में अत्यन्त आकर्षक थी। पास ही एक कस्बे के काॅलेज से बी०एड० करके वह अपने ही गाँव के सरकारी स्कूल में टीचर बन गयी। पिता गाँव में खेती करते थे। अपनी पुश्तैनी थोड़ी जमीन थी। भाई पटियाला में काॅलेज में प्रोफेसर था। उसके पत्नी व बच्चे गाँव में ही रहते थे। स्वीटी के अध्यापिका बन जाने के बाद उसके माता-पिता किसी अच्छे परिवार के लड़के से उसका ब्याह कर अपने फर्ज से मुक्त होने के इच्छुक थे।
किन्तु स्वीटी की उड़ान तो कहीं और थी। स्कूल की अध्यापिका बनकर पढ़ाना और फिर ब्याह रचाकर घर बसा लेना ही उसका सपना न था। वह कुछ अलग करना चाहती थी। अतः उसने अपने पिता से एक वर्ष का समय माँगा और कहा कि यदि इस एक वर्ष में वह कुछ अपनी इच्छानुसार न कर पायी तो जहाँ पिता कहेंगे वह ब्याह कर लेगी।
स्वीटी को यह अवसर शीघ्र मिल गया। उसके कस्बे वाले काॅलेज में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें चंडीगढ़ व मुम्बई के कुछ प्रसिद्ध गायक चीफ-गेस्ट के रूप में बुलाये गये थे। स्वीटी अपने समय में अच्छी मंच-संचालिका थी। अतः प्रिंसिपल ने उसे कार्यक्रम के लिये बुलाया था। स्वीटी के बेहतरीन संचालन से कार्यक्रम बहुत सफल रहा। चीफ-गेस्ट उससे बेहद प्रभावित हुए और उन्होंने स्वीटी को अपने गायन-ग्रुप में संचालिका के रूप में ज्वाइन करने का आफर दिया जिसमें स्वीटी को न केवल भारत अपितु भारत के बाहर अन्य देशों में भी कार्यक्रमों में संचालन का अवसर मिलने लगा। स्वीटी का परिवार भी उसकी इस कामयाबी से प्रसन्न था। वर्ष बीतने तक स्वीटी अपने सपने को काफी हद तक हकीकत में बदल चुकी थी। दो-ढाई वर्ष तक स्वीटी सपनों की सुनहरी दुनिया में विचरण करती रही कि उसकी जिन्दगी में नया मोड़ आ गया।
लंदन में अपने एक कार्यक्रम के दौरान उसका परिचय सुजीत से हुआ। परिचय मुलाकातों में, मुलाकातें प्रेम में और प्रेम विवाह में कितनी जल्दी बदला, स्वयं स्वीटी भी इसका एहसास ही न कर सकी। मात्र तीन वर्ष की अवधि; गाँव के स्कूल में पढ़ाने वाली स्वीटी की जिन्दगी उसे लंदन जैसे बड़े विदेशी शहर में खींच लायी।

ब्याह के बाद की नयी जिन्दगी, नया घर, नये सपनों में आरम्भ के कुछ माह पलक झपकते ही बीत गये। फिर सुजीत का व्यवहार बदलने लगा। उसने स्वीटी पर काम छोड़ने का दबाव बनाना आरम्भ कर दिया। उसका आग्रह था कि स्वीटी अपनी नयी गृहस्थी को पूरा समय व समर्पण दे, कमाई तो वह स्वयं ही बहुत कर लेगा। स्वीटी ने भी उसके आग्रह को प्रेमपूर्वक स्वीकार कर लिया। वह अपनी गृहस्थी में मगन हो गयी। सब कुछ ठीक चल रहा था कि एक दिन सुजीत अपने साथ एक खूबसूरत युवती को लिए घर लौटा। आते ही बताया कि वह युवती उसकी पहली पत्नी जूलिया है। जूलिया लंदन की ही निवासी थी। दो वर्ष पूर्व सुजीत से उसकी मैरिज हुई थी। फिर आपसी झगड़े के बाद दोनों अलग-अलग रहने लगे। वैसे लंदन में पिछले पाँच वर्षों से वे दोनों साथ रहते थे। झगड़े के बाद जब सुजीत‌ ने स्वीटी से शादी की तो जूलिया इस बात को बर्दाश्त नहीं कर पायी। तभी से वह बराबर सुजीत की जिन्दगी में वापस लौटने के प्रयास में थी और अब वह
सफल हो गयी थी। सुजीत ने स्वीटी से कहा कि अब वह और जूलिया दोनों ही उसके साथ रहें।

स्वीटी के लिए यह सब बहुत अप्रत्याशित था। वह चुपचाप कमरे में जाकर बैठ गयी। सब कुछ इतनी जल्दी व अचानक हुआ कि फैसला करना आसान न था। अपने देश और अपनों से मीलों दूर एक पराये देश में उसकी खुशहाल जिन्दगी का मौसम अनायास ही परिवर्तित हो गया। किन्तु स्वीटी हार स्वीकार कर घुटने टेकने वालों में न थी। उसने रोकर अथवा झगड़कर समझौता करने की अपेक्षा बुद्धिमत्ता से निर्णय लेते हुए धैर्य बनाये रखा और जहाँ तक सम्भव हुआ अपना व्यवहार सामान्य रखा।
लगभग सात माह के प्रयास के बाद उसने सुजीत के चंगुल से तब दूर जाने का मार्ग तलाश कर लिया, जब उसने अपना पासपोर्ट सुजीत से निकलवाकर अपने देश भारत लौटने की टिकट का प्रबंध कर लिया। फिर फ्लाइट पकड़ कर वह भाई के पास वापस पंजाब पहुँचने में सफल हो गयी।
यहाँ लौटकर पुनः अध्यापिका की नौकरी तलाश कर उसने एक बार फिर अपनी जिन्दगी को व्यवस्थित किया। अतीत को भुलाकर वह अपने वर्तमान में संतुष्ट थी कि आज विद्यालय में हुई घटना ने उसके पुराने जख्म मानो हरे कर दिये। अपने घर, अपने देश से दूर ऊँची उड़ान का उसका मोह भंग हो गया था।

रचनाकार :- कंचन खन्ना,
मुरादाबाद, (उ०प्र०, भारत)।
सर्वाधिकार, सुरक्षित (रचनाकार)।
दिनांक :- २२/०८/२०२१.

138 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Kanchan Khanna
View all
You may also like:
दीप्ति
दीप्ति
Kavita Chouhan
गुरु
गुरु
Rashmi Sanjay
तुम रख न सकोगे मेरा तोहफा संभाल कर।
तुम रख न सकोगे मेरा तोहफा संभाल कर।
लक्ष्मी सिंह
🍃🌾🌾
🍃🌾🌾
Manoj Kushwaha PS
सागर बोला सुन ज़रा, मैं नदिया का पीर
सागर बोला सुन ज़रा, मैं नदिया का पीर
Suryakant Dwivedi
बेचारी माँ
बेचारी माँ
Shaily
हर बला से दूर रखता,
हर बला से दूर रखता,
Satish Srijan
इश्क का तोता
इश्क का तोता
Neelam Sharma
इश्क अमीरों का!
इश्क अमीरों का!
Sanjay ' शून्य'
23/132.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/132.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
देश हमरा  श्रेष्ठ जगत में ,सबका है सम्मान यहाँ,
देश हमरा श्रेष्ठ जगत में ,सबका है सम्मान यहाँ,
DrLakshman Jha Parimal
सपनों को अपनी सांसों में रखो
सपनों को अपनी सांसों में रखो
Ms.Ankit Halke jha
Sometimes
Sometimes
Vandana maurya
#justareminderekabodhbalak
#justareminderekabodhbalak
DR ARUN KUMAR SHASTRI
वो जाने क्या कलाई पर कभी बांधा नहीं है।
वो जाने क्या कलाई पर कभी बांधा नहीं है।
सत्य कुमार प्रेमी
🌹हार कर भी जीत 🌹
🌹हार कर भी जीत 🌹
Dr Shweta sood
कैसा होगा कंटेंट सिनेमा के दौर में मसाला फिल्मों का भविष्य?
कैसा होगा कंटेंट सिनेमा के दौर में मसाला फिल्मों का भविष्य?
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
शादी शुदा कुंवारा (हास्य व्यंग)
शादी शुदा कुंवारा (हास्य व्यंग)
Ram Krishan Rastogi
चाय ही पी लेते हैं
चाय ही पी लेते हैं
Ghanshyam Poddar
गुमशुदा लोग
गुमशुदा लोग
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
रामभरोसे चल रहा, न्यायालय का काम (कुंडलिया)
रामभरोसे चल रहा, न्यायालय का काम (कुंडलिया)
Ravi Prakash
जब हम सोचते हैं कि हमने कुछ सार्थक किया है तो हमें खुद पर गर
जब हम सोचते हैं कि हमने कुछ सार्थक किया है तो हमें खुद पर गर
ललकार भारद्वाज
-- मुंह पर टीका करना --
-- मुंह पर टीका करना --
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
🙅नई परिभाषा🙅
🙅नई परिभाषा🙅
*Author प्रणय प्रभात*
चाटुकारिता
चाटुकारिता
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
मैं तुझसे बेज़ार बहुत
मैं तुझसे बेज़ार बहुत
Shweta Soni
चीत्कार रही मानवता,मानव हत्याएं हैं जारी
चीत्कार रही मानवता,मानव हत्याएं हैं जारी
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
"राष्ट्रपति डॉ. के.आर. नारायणन"
Dr. Kishan tandon kranti
"नए सवेरे की खुशी" (The Joy of a New Morning)
Sidhartha Mishra
तेरी तसवीर को आज शाम,
तेरी तसवीर को आज शाम,
Nitin
Loading...