“एंबुलेंस कर्मी”
“एंबुलेंस कर्मी”
हूटर की आवाज,
कभी आपने भी तो सुनी होगी।
बेवजह अनजान के लिए
दिल से दुआ की होगी।।
एंबुलेंस के हूटर की आवाज,
भागते दौड़ते,
बिना रुके,
स्ट्रैचर, ऑक्सीजन, ग्लुकोज,
टीके, दवाइयां, ड्रेसिंग, पट्टी,
आदि आदि,
न जाने क्या-क्या मैनेज करना पड़ता है।
सजग सचेत अलर्ट रहकर
हालात से लड़ना पड़ता है।।
आपातकाल में जब इंसान शून्य-सम हो जाता है।
भावनाओं को काबू रखना मुश्किल हो जाता है।।
हम कहां हैं?
कौन हैं?
क्या करना है?
कहां जाना है?
सब बिखरा बिखरा हो जाता है।
सब व्यस्त हो जाता है
घायल कोई कहीं कहराता है।।
तो-
हम हाजिर रहते हैं,
एक कॉल पर।
एक सजग प्रहरी की तरह,
हमारा कर्म है और फर्ज भी,
आप का प्राथमिक उपचार सुनिश्चित करना,
नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर
बिना समय गवाएं पहुंचाना।।
हम कड़ी बनते हैं,
आपके टूटे सांसों की।
कोशिश करते हैं,
आपके और हमारे विश्वास को
मजबूत बनाने की।।
कई बार सुकून मिलता है,
अगर कुछ अच्छा कर सकें।
पर –
हालात भी कहाँ हर बार
अपने काबू के होते हैं।
बस- हम तो कर्म कर सकते हैं,
और दुआ कर सकते हैं।
सहारा बन सकते हैं,
जहां तक संभव हो।
हम एंबुलेंस कर्मी तैनात रहते हैं,
सेवा में तत्पर दिन-रात।
हम देखते हैं,
महसूस करते हैं,
जिंदगी को,
सांसो को।।
हम जीते हैं,
कभी खुशियों की किलकारी में,
जिंदगी की आशा में।
घुट जाते हैं, टूट जाते हैं,
मातम, कभी शोरगुल में,
कभी टूटती सांसे निराशा में।।
रिश्ता नहीं होता हर किसी से
बस लगाव हो जाता है।
हम दर्द महसूस करते हैं,
जब किसी को घाव हो जाता है।।
हम ड्यूटी से कहां कतराते हैं,
हम एंबुलेंस कर्मी हैं साहब,
हर वक्त दांव पर अपनी जान लगाते हैं।।
आपका भी शुक्रिया,
सलाम आपको।
जो सहायता के लिए अपना हाथ बढ़ाते हैं।
जान बचानी है बस यही सोचकर कदम बढ़ाते हैं।।
इंसानियत के फरिश्ते,
कहां किसी और दुनिया से आते हैं।
वो हम में से ही कोई हैं,
जो नेकी कर दरिया में बहाते हैं।।
सबका अच्छा हो,
सबका भला हो,
इंसानियत की जीत सदा हो,
नेक राह रब ने भी चुनी होगी।
हूटर की आवाज,
आपने भी तो सुनी होगी।
बेवजह किसी अनजान के लिए,
दिल से दुआ की होगी।।
एंबुलेंस के हूटर की आवाज……
-सुनील सैनी “सीना”,
राम नगर, रोहतक रोड़, जीन्द (हरियाणा)-126102.