‘ उपर वाले की लाठी ‘
कैसा कोरोना काल था अजब सबका हाल था
वहीं एक घर में दादी का खाना भी मुुुहाल था ,
सब अपने में मदमस्त अपने में चूर
देखो कैसे विपदा में हो गये सब दूर ,
बस खाना सरका जाते नही वो पास आते
पड़ी हुई बस परछाईयों को देखती आते जाते ,
लेकिन ये कोरोना कहाँ किसी को देखता है
वो तो अपना पासा अपने मन से फेकता है ,
ग्रसित हुये सब कोरोना से हाल हुआ बेहाल
अब जाना पड़ेगा अस्पताल नही चलेगी चाल ,
दिमाग लगाया बेटे ने शातिर बुद्धि चलाई
बोला हमारे बगैर कैसे रहेगी मेरी बूढ़ी आई ,
अधिकारी ने जाकर देखा टेस्ट उनका किया
निगेटिव रिपोर्ट ने सबको आश्चर्य से भर दिया ,
इतनी देर में अधिकारी ने हालत समझ लिया
उसने तब अपनी समझ से फैसला फिर किया ,
बोला तुम सब यहीं रहो आई जायेंगीं साथ मेरे
ज़िंदा रहने की खा़तिर वो रहेगीं तुम सबसे परे ,
देखा उपर वाला जब अपनी लाठी चलाता है
जिसे छोड़ा था मरने को वो उसीको बचाता है ।
( ममता सिंह देवा , वाराणसी )
सर्वाधिकार सुरक्षित – 15/12/2020