इस प्यार को क्या नाम दूं ?
देख के मेरी कनौतियों की सफेदी नजर अंदाज करती है
मेरी खुशनुमा सी ज़िन्दगी मेरे साथ साथ चलती है
मेरे गालों पर पड़ती झाइयों की वो बड़ी फिक्र करती है
ज़माने से बेपरवाह मेरी ज़िन्दगी मुझे पसंद करती है
वो कहती है उसे मुछों वाले लोग बिलकुल पसंद नहीं है
मेरी सिंघमनुमा मूछों में उसे मेरी छवि अच्छी लगती है
देखती है मेरी बढ़ी हुई दाढ़ी और उसमे झांकती सफेदी
कहती है ज़िन्दगी ये मुई बिलकुल अच्छी नहीं लगती है
मैं जब भी उदास होता हूँ मेरी चाँद के उड़ते बाल देखकर
अच्छे तो लगते हो कहकर मेरी ज़िन्दगी मेरे साथ हंसती है
देखती है वो मुझे सोच में डूबा तो मुझे छेड़ती है मुस्कुरा के
कहती है ज़िन्दगी तुम्हारी उदासी मुझे बहुत उदास करती है
जब भी कहता हूँ उसको मैं तेरे लिए कुछ भी तो नहीं कर पाता
मेरी ज़िन्दगी कहती है तेरे साथ मुझे बहुत ख़ुशी मिलती है |
मुझसे लडती है झगडती है कभी कभी बात भी तो नहीं करती है
फिर भी मुझे पता है मेरी ज़िन्दगी मुझसे बहुत प्यार करती है
उसके पास शिकायतों का पुलिंदा है जो सम्हाला है उसने मन में
फिर भी मेरी ज़िन्दगी मुझसे कभी कोई शिकायत नहीं करती है
कभी कभी रोना चाहती है फूट फूटकर मेरे कांधो पर सर रखकर
मेरा मन दुखित न हो मेरी ज़िन्दगी अपने आँसू रोक कर रखती है
फरमाईशों की एक पोटली वो अपने दिल के कोने में छुपाये है
फिर भी मेरी ज़िन्दगी कभी मुझसे कोई फरमाइश नहीं करती है
विश्वास करती है वो मेरे प्रयासों पर कभी ऊँगली नहीं उठाती
एक दिन उसके सपने पूरे करूँगा मेरी ज़िन्दगी यकीन करती है
“सन्दीप कुमार”