रिश्ते मांगने नहीं, महसूस करने के लिए होते हैं…
रिश्ते मांगने नहीं, महसूस करने के लिए होते हैं…
अगर प्रेम, दोस्ती, या अपनापन के लिए किसी से बार- बार उम्मीद करनी पड़े, तो शायद वो रिश्ता आपकी गरिमा के लायक नहीं। रिश्तों की बुनियाद भरोसे और स्वाभाविकता पर होती है, न कि याचना पर।
जिन्हें आपकी कद्र है, वो बिना माँगे ही आपको वो प्यार और अपनापन देंगे। और जहां कह कर भावनाएं मांगनी पड़े वो सच में सामने वाले के दिल से निकली वास्तविक भावना हैं या फिर हमारा मन रखने के लिए जाहिर की गई औपचारिक भावना ??
क्योंकि जो सच्चा है, वो कभी माँगने पर नहीं मिलता; और जो ऐसे मिलता है, वो सच्चा नहीं होता।
इसलिए ध्यान में रखिए….
अपनेपन का असली सुख वही है, जो बिना कहे मिले।
जहाँ अपनापन माँगना पड़े, वहाँ रिश्तों का वजूद खो जाता है…!!