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29 May 2024 · 1 min read

ओ पंछी रे

#ओ पंछी रे

ओ पंछी रे______गगन प्यारे,
सुर में_____मीठे गीत सुना रे,
हो गई बेसुरी_____धरती धरा,
जुबानी नरों को__स्वर सुना रे,

ओ पंछी रे________गगन प्यारे,
राग रागिनी________ऐसी गा रे,
सुनाकर___मानव जीवन सुधार रे,
सुनकर नर__बेजुबानो पर दया करे,

ओ पंछी रे_________गगन प्यारे,
वन नदियां के साथ__शहरों में भी गा रे,
भरी भिडो में____कई जन गुमसुम है,
उनके अंदर______परोपकार जगा रे,

ओ पंछी रे__________गगन प्यारे,
धरती के_________हर आंगन जा रे,
कु कु **चिव चिव **चहक के __ गा रे,
सुने हुये____आंगन गांवों को महका रे,
ओ पंछी रे_______गगन प्यारे………

स्वरचित मौलिक
कृष्णा वाघमारे, जालना, महाराष्ट्र.

Language: Hindi
128 Views
Books from krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
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