श्रद्धांजलि
श्रद्धांजलि
चारों ओर आतंकी दावानल सिसकती थी पुलवाना वादियां ,
बारूद गोलो से कंपित थी घाटियां है कट कटा कट कट गए भारतीय,
अनगिनत भीरूता की कृतियो से फिर मानवता लज्जित हुई
प्रकृति भी नम हुई जब फैली रक्तिम लालिमा,
कलुषता उजागर हुई पाक
कारगुजारियां
मानवता क्षुभित हुई भीग रही है अखियां
अर्घ्य करो स्वीकार आश्रांजलि का हे सपूतों! नमन! वंदन! स्वीकार करो हमारी अश्रुपूरित श्रद्धांजलि
पं अंजू पांडेय अश्रु