इश्क की
मुख़्तलिफ़ हैं सिफ़ात इश्क की
आओ करते है बात इश्क की
जिन-ओ-शैताँ तो नफ़रत के रु
म’गर है खुदा ओ रास्त इश्क की
पैदा सब इब्न-ए-आदम इश्क से
कुछ नहीं यार जात-पात इश्क की
फ़क़त पा लेना मक़ाम कहाँ इश्के
यार है मरहले छे – सात इश्क की
ये जो कह रहा सब तज्रिबा ए बयानी है
कटे है किसी के बाँहों में कई रात इश्क की
नफ़रत , अदावत ओ रश्क सब फ़ुज़ूल है
हर ओर से कुनु कुल – काइनात इश्क की