*पीयूष जिंदल: एक सामाजिक व्यक्तित्व*
ग़ज़ल _ मुहब्बत से भरे प्याले , लबालब लब पे आये है !
किलकारी गूंजे जब बच्चे हॅंसते है।
समय एक जैसा किसी का और कभी भी नहीं होता।
बेवफा, जुल्मी💔 पापा की परी, अगर तेरे किए वादे सच्चे होते....
आँखें उदास हैं - बस समय के पूर्णाअस्त की राह ही देखतीं हैं
जो बीत गयी सो बीत गई जीवन मे एक सितारा था
जन्मदिन मुबारक तुम्हें लाड़ली
हमें तो देखो उस अंधेरी रात का भी इंतजार होता है
एक दिया बहुत है जलने के लिए
छोड़ जाते नही पास आते अगर
बहुत दाम हो गए
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस :इंस्पायर इंक्लूजन
ज़िंदगी में हर मोड़ मुहब्बत ही मुहब्बत है,