आसान नहीं शिक्षक बन जाना
पिघल मोम-सा खुद जल जाना,
झुलस आगमय सौ बार जलाना |
चित्त अबोध स्वरूप की खातिर,
आसान नहीं शिक्षक बन जाना |
ठोकर दर-दर ठोकर सह-सहकर,
दीपक-सा जल सिहर-सिहरकर |
घनघोर-तिमिर-हर राह सुझाना,
आसान नहीं शिक्षक बन जाना |
अट पट राह सुडौल बना कर,
बनाना हीरे पत्थर तराश कर |
स्वयं तरल बन बरफ पिघलाना,
आसान नहीं शिक्षक बन जाना |
दुनिया का सहना ताना-बाना,
नहीं सरल यह सब सह पाना |
उदास चित्त उजहास बनाना,
आसान नहीं शिक्षक बन जाना |
‘मयंक’ उलझन सब अपनी है,
आसमानी तारक गिनवाना |
कंटक बीच फुलवार उगाना,
आसान नहीं शिक्षक बन जाना |
✍के.आर.परमाल ‘मयंक’