आइए जनाब
अरे आइए जनाब ,ज़रा आइए!!!
लेकिन जुल्फें यूं न बिखराइए!!!
दीवानों के बारे में भी सोचो जनाब,
न छुपाओ जुल्फों से ये माहताब ,
नकाब चेहरे से ज़रा सा सरकाइए।
अरे आइए जनाब,ज़रा आइए।
घटाएं ग़र आप से हो गई ख़फ़ा,
न जाने क्या लगे आप पर दफ़ा,
संभल कर खुद को समझाइए।
अरे आइए जनाब,ज़रा आइए।
मासूम सा एक हसीं दिल था मेरा,
निकल हाथ से हो गया है जो तेरा,
अजब दास्तां अब न दोहराइए।।
अरे आइए जनाब, ज़रा आइए।
सुरिंदर कौर