असली नशा
हाथों में पकड़कर अपना गिलास
वो आज पीये जा रहे थे
देखकर झूमते मस्ती में उनको
हम भी तो जीये जा रहे थे
कुछ तो नशा चाहिए जीने के लिए
मुझसे कहे जा रहे थे
वो एक के बाद एक जाम धड़ाधड़
फिर पीये जा रहे थे
कैसे समझाता उनको ये बात
नशे में रहकर नशे का अहसास नहीं होता
उतर जायेगा जो महज़ चार घंटे में
वो कोई नशा नहीं होता
पड़कर देख कभी किसी के इश्क में
पीकर देख तू जाम इश्क का
उसका सुरूर कभी जाता नहीं है फिर
नशे के लिए काफी है नाम इश्क का
देखता है घंटों तक उसकी आंखों में
फिर भी उसका मन नहीं भरता
नशा इश्क का चढ़ता है जब एक बार
दोस्तों, फिर वो कभी नहीं उतरता
हो नशा शराब का या शबाब का
है वो दूध के उबाल सा
रहना चाहते हो नशे में हरपल तुम
करके देख लो नशा इश्क का
जान लो ये, है नहीं नशे में वो
जिसने पी रखी है शराब बहुत
थोड़ी देर के बाद वो तो उतर जायेगी
फिर उसको भी आएगी किसी की याद बहुत
शराब को साकी मापता है पैमाने से
नशे के लिए पैमाने की ज़रूरत नहीं होती
इश्क का नशा खुद ही हो जाता है
इसमें साकी की ज़रूरत भी नहीं होतीI