Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Oct 2022 · 3 min read

असफलता को सहजता से स्वीकारें

लगभग हर माता-पिता की इच्छा यही होती है कि उनके बच्चे जहां पढ़ाई में श्रेष्ठ हो तो वहीं अन्य ऐक्टिविटी में भी सबसे आगे हो। यह सोच अच्छी है लेकिन समस्या तो तब उत्पन्न होती है जब बच्चे अपने माता-पिता की अपेक्षाओं पर खरा उतरना तो दूर उसके आसपास भी नजर नहीं आते। तब ऐसी स्थिति निश्चित ही माता-पिता को निराश औरह करने वाली होती है लेकिन इस संबंध में उन्हें बहुत ही संयम से काम लेते हैं संतुलित दृष्टिकोण भी अपना चाहिए। अन्यथा बच्चे पर आपकी नकारात्मक प्रक्रिया उसके कोमल मन-मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव डालेगी। बच्चे की असफलता को अगर माता-पिता सहजता से स्वीकारे तो असफलता क सफलता में परिवर्तित हो जायेगी उन्हें स्वयं भी ज्ञात नहीं होगा, इसके लिए कुछ बातों विशेष ध्यान दें ।
सफलता और असफलता को समझें सफलता हर किसी को अच्छी लगती है और असफलता को कोई अपने पास भी फटकने नहीं देना चाहता, जबकि लोग भूल जाते हैं कि असफलता सफलता की पहली सीढ़ी होती है। इस वास्तविकता को माता पिता जहां स्वयं अच्छे से समझें वही अपने बच्चों को भी समझायें।
स्वीकारें असफलता की चुनौती को :
***********************
आपके बच्चे को असफलता इस बात का प्रतीक है कि
पोषण में कहीं न कहीं कोई कमी अवश्य रह गई है बस उस कमी को पहचानने और उसमें तत्काल सुधार करने की होनी चाहिए, ऐसा करना भी बच्चे की सफलता प्राप्ति के उद्देश्य पूर्ति में अत्यन्त सहायक सिद्ध होगा।
बच्चे की असफलता से सीखें
*************************
बच्चे को मिली असफलता से आप निराश होने के विपरीत इससे प्रेरणा प्राप्त करें, दोबारा असफलता का मुंह न देखना पड़े इसके लिए भी गलतियों को पुनः दोहराने का प्रयास न करें।
बच्चों से उपेक्षापूर्ण व्यवहार नहीं है उचित
***************************
हर माता-पिता को ज्ञात होता हैकि उनका बच्चा कितना
योग्य और कितना सक्षम है। लेकिन अफसोस तो तब होता है कि इस वास्तविकता को नजर अंदाज कर परीक्षा या प्रतियोगिता में पिछड़ जाने पर अपने बच्चों से उपेक्षापूर्ण व्यवहार करने लगते हैं। दूसरे बच्चों के उदाहरण देकर बच्चों को हतोत्साहित करके उन्हें अपमानित करते हैं। जो कि अमानवीय कृत्य है। बच्चों में जितनी क्षमता होगी वह उतना ही प्रदर्शन करेंगे फिर उसके लिए उन्हें दोषी समझना कहां की समझदारी
है।
सहर्ष स्वीकारें
*************
बच्चे आपके हैं इसलिए अपने बच्चों की खूबियों और सफलता के साथ उनकी कमियों और उनकी असफलता को भी सहर्ष स्वीकारें ।
रुचियों को प्राथमिकता
******************
बच्चे अगर आपकी उम्मीदों पर खुश उतरते हैं तो उन्हें शाबाशी अवश्य दें। यदि उम्मीदों पर खरा नहीं उतरते हैं तो ऐसी’ स्थिति में उनके साथ प्रेम पूर्ण व्यवहार रखें। दोस्त बनकर उनकी समस्याओं को सुने और समझे उनका मार्गदर्शन करें, वहीं उनकी रुचियों को भी प्राथमिकता दें।
ध्यान रखें :
*********
बच्चों से उनकी क्षमता से अधिक अपेक्षा प्रायः बच्चों को अवसाद का शिकार बना देती हैं। जिसके कारण कभी कभी बच्चे आत्महत्या जैसा कायरता पूर्ण कदम उठाने से भी पीछे नहीं हटते। आपके बच्चे आपसे बिना शर्त, बिना किसी उपलब्धि को प्राप्त किये, आपसे प्यार और सहयोग की अपेक्षा रखते हैं, अब यह आपके ऊपर निर्भर करता है कि आप अपने बच्चों की अपेक्षाओं पर खरा उतरते हैं अन्यथा नहीं।

डाॅ फौज़िया नसीम शाद

Language: Hindi
Tag: लेख
14 Likes · 521 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr fauzia Naseem shad
View all

You may also like these posts

आस का दीपक
आस का दीपक
धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर
बहन भी अधिकारिणी।
बहन भी अधिकारिणी।
Priya princess panwar
शब्दों के तीर
शब्दों के तीर
Meera Thakur
जाना है
जाना है
Dr.Pratibha Prakash
■आप देखेंगे जल्द■
■आप देखेंगे जल्द■
*प्रणय प्रभात*
*तानाजी पवार: जिनके हाथों में सोने और चॉंदी के टंच निकालने क
*तानाजी पवार: जिनके हाथों में सोने और चॉंदी के टंच निकालने क
Ravi Prakash
पर्यावरण
पर्यावरण
Dinesh Kumar Gangwar
!! वह कौन थी !!
!! वह कौन थी !!
जय लगन कुमार हैप्पी
तीसरी बेटी - परिवार का अभिमान
तीसरी बेटी - परिवार का अभिमान
Savitri Dhayal
*
*"अवध में राम आये हैं"*
Shashi kala vyas
मेरा बचपन
मेरा बचपन
Dr. Rajeev Jain
चाहत
चाहत
ललकार भारद्वाज
चाय
चाय
अंकित आजाद गुप्ता
बेफ़िक्री का दौर
बेफ़िक्री का दौर
करन ''केसरा''
कुंभ में मोनालिसा
कुंभ में मोनालिसा
Surinder blackpen
रिश्तों का खेल अब बाजार सा हो गया,
रिश्तों का खेल अब बाजार सा हो गया,
पूर्वार्थ
शाकाहार बनाम धर्म
शाकाहार बनाम धर्म
मनोज कर्ण
हम भी होशियार थे जनाब
हम भी होशियार थे जनाब
Iamalpu9492
सत्य की खोज
सत्य की खोज
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
विसर्जन
विसर्जन
Deepesh Dwivedi
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस :इंस्पायर इंक्लूजन
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस :इंस्पायर इंक्लूजन
Dr.Rashmi Mishra
ग़ज़ल
ग़ज़ल
नूरफातिमा खातून नूरी
गीत- बहुत गर्मी लिए रुत है...
गीत- बहुत गर्मी लिए रुत है...
आर.एस. 'प्रीतम'
समझाओ उतना समझे जो जितना
समझाओ उतना समझे जो जितना
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
चेतन वार्तालाप
चेतन वार्तालाप
Jyoti Pathak
आदमी आदमी के रोआ दे
आदमी आदमी के रोआ दे
आकाश महेशपुरी
* डार्लिग आई लव यू *
* डार्लिग आई लव यू *
भूरचन्द जयपाल
"परमार्थ"
Dr. Kishan tandon kranti
सम्पूर्ण सनातन
सम्पूर्ण सनातन
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
संगदिल
संगदिल
Aman Sinha
Loading...