अश्रु-नाद
खो गयी प्रेम की नगरी
झंझा-झंकोर घन घेरे ।
हो हाहाकार हृदय में
सुन अश्रु-नाद को मेरे ।।
लघु बूँदे ले मतवाला
नभ से ऐ ! नीरद माला ।
बुझने दे आँसू-नद से
अभिलाषाओं की ज्वाला ।।
मम् व्यथित हृदय से आती
अंतर्मन में अकुलाती ।
जीवन की नित अभिलाषा
आँसू बनकर बह जाती।।