मुझको ज्ञान नहीं कविता का
सिर्फ जी तोड़कर मेहनत की ,नहीं की कभी नतीजे की परवाह ,
दूसरो की लाइफ मैं मत घुसा करो अपनी भी लाइफ को रोमांचक होगी।
तपाक से लगने वाले गले , अब तो हाथ भी ख़ौफ़ से मिलाते हैं
तूने ही मुझको जीने का आयाम दिया है
तन्हाइयों का दोष दूं, रुसवाइयों का दोष दूं।
शबनम की बूंदों का यों मिहिका सा जम जाना,
मुश्किल राहों पर भी, सफर को आसान बनाते हैं।
शिक़ायत है, एक नई ग़ज़ल, विनीत सिंह शायर
करोगे रूह से जो काम दिल रुस्तम बना दोगे
जो चाहने वाले होते हैं ना
सुख, संपत्ति, संयम, सादगी, सफलता, साधना, संस्कार, स्वास्थ्य,
Anamika Tiwari 'annpurna '