अमीर
नये नये
अमीर लोग
दिल से गरीब होते
दस रूपये की
भाजी
पर भी
मोल करते
अखबार की
रददी पर
कबाडी के
संग झगड़ते
कुली मजदूर
हर किसी से
पाई का
हिसाब करते
पैसे का
यह आकर्षण
सब कुछ
फीका करता
आदमी
दीन ईमान
तक भी
बेचा करता
पैसा मेरा है
यह मत समझना
पैसा किसी का
सगा नही है
यह याद रखना।
डा. पूनम पाडे