Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Apr 2018 · 1 min read

अभिव्यक्ति

मैं पीर पराई कैसे जानूँ,
जब मैंने सौ-सौ नीर बहाये है।
पग-पग काँटे हरपल शोले,
दुनिया ने मेरे कदमों तले बिछाये है।

Language: Hindi
317 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
स्वार्थवश या आपदा में
स्वार्थवश या आपदा में
*Author प्रणय प्रभात*
खुद से उम्मीद लगाओगे तो खुद को निखार पाओगे
खुद से उम्मीद लगाओगे तो खुद को निखार पाओगे
ruby kumari
समय के हाथ पर ...
समय के हाथ पर ...
sushil sarna
चाहता है जो
चाहता है जो
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
नजरिया रिश्तों का
नजरिया रिश्तों का
विजय कुमार अग्रवाल
गमों के साथ इस सफर में, मेरा जीना भी मुश्किल है
गमों के साथ इस सफर में, मेरा जीना भी मुश्किल है
Kumar lalit
05/05/2024
05/05/2024
Satyaveer vaishnav
सत्य की खोज अधूरी है
सत्य की खोज अधूरी है
VINOD CHAUHAN
बुद्ध भगवन्
बुद्ध भगवन्
Buddha Prakash
बंधन में रहेंगे तो संवर जायेंगे
बंधन में रहेंगे तो संवर जायेंगे
Dheerja Sharma
बेचारे नेता
बेचारे नेता
दुष्यन्त 'बाबा'
देकर घाव मरहम लगाना जरूरी है क्या
देकर घाव मरहम लगाना जरूरी है क्या
Gouri tiwari
🙏
🙏
Neelam Sharma
कुछ रिश्तो में हम केवल ..जरूरत होते हैं जरूरी नहीं..! अपनी अ
कुछ रिश्तो में हम केवल ..जरूरत होते हैं जरूरी नहीं..! अपनी अ
पूर्वार्थ
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
सबके सामने रहती है,
सबके सामने रहती है,
लक्ष्मी सिंह
छत्तीसगढ़ रत्न (जीवनी पुस्तक)
छत्तीसगढ़ रत्न (जीवनी पुस्तक)
Dr. Pradeep Kumar Sharma
3094.*पूर्णिका*
3094.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
फूल फूल और फूल
फूल फूल और फूल
SATPAL CHAUHAN
नयनों मे प्रेम
नयनों मे प्रेम
Kavita Chouhan
*लगता है अक्सर फँसे ,दुनिया में बेकार (कुंडलिया)*
*लगता है अक्सर फँसे ,दुनिया में बेकार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
कहती है हमें अपनी कविताओं में तो उतार कर देख लो मेरा रूप यौव
कहती है हमें अपनी कविताओं में तो उतार कर देख लो मेरा रूप यौव
DrLakshman Jha Parimal
जीवन के सफ़र में
जीवन के सफ़र में
Surinder blackpen
मानवता का
मानवता का
Dr fauzia Naseem shad
कविता-मरते किसान नहीं, मर रही हमारी आत्मा है।
कविता-मरते किसान नहीं, मर रही हमारी आत्मा है।
Shyam Pandey
होली और रंग
होली और रंग
Arti Bhadauria
मेघा तू सावन में आना🌸🌿🌷🏞️
मेघा तू सावन में आना🌸🌿🌷🏞️
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
मीलों की नहीं, जन्मों की दूरियां हैं, तेरे मेरे बीच।
मीलों की नहीं, जन्मों की दूरियां हैं, तेरे मेरे बीच।
Manisha Manjari
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
"पता नहीं"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...