05/05/2024
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दिनाँक 16/01/2024
है कर्म भूमि के नायक,तुमको शिशु झुकाते हैं
जीवन में हो सहायक ,हम तुम्हारी गाथा गाते है
धूप तेज़ गर्मी को सहते, अधियारो से लड़ते हैं
सर्द हवा के झोंको को,तन से लगा के बड़ते है
बाधा कितनी भी हो,किसी से कुछ न कहते है
ऐसे कर्म पुत्रो का हम,नित नित वंदन करते है
कर्म भूमि के नायक, हमको सब कुछ देते हैं
स्वयं भूखे रह कर भी, सबको भोजन देते है
प्राणो न्यूछावर् करके भी, सबकी रक्षा करते हैं
अपने बच्चो से दूर रहकर, पूरा जीवन जीते हैं
चहुंमुखी विकास हो, भारत माता से कहते हैं
अनुसंधान करते रहते,एकांकी जीवन जीते है
सैनिक किसान वैज्ञानिक, जो हिम्मत रखते हैं
भारतवासी इनकी दम पर ,आनंद मे रहते हैं
है कर्म भूमि के नायक,तुमको शिशु झुकाते हैं
जीवन में हो सहायक ,हम तुम्हारी गाथा गाते है
सत्यवीर वैष्णव
बारा (राजस्थान)