अभद्रता और हमारी संस्कृति
गालियां देना स्वभाव और संस्कृति नहीं हमारी,
पर गालियां देने से कभी हिचकिचाते भी नहीं,
गालियां जो देता बेबाक उसको मॉडर्न बोलते हैं,
और जो इन सबसे दूर रहे उसको डंबो बोलते हैं,
सीखते पश्चिम से बहुत कुछ और संस्कृति अपनी
भूलते हैं
अभद्रता हमारे लहेजे में नहीं पर फिर भी बहुत करते
सीखते बहुत सी ज्ञान की बातें पर उनको ना
आजमाते हैं
गर सीखते कुछ गलत हम तो उसे आजमाए बिन न
रह पाते हैं,
अपने मान सम्मान की चिंता आजकल बहुत रहती है,
सभ्यता संस्कति की सारी सीख हम ही सबको देते हैं,
आती बात जब किसी दूजे के सम्मान की,
तो सभ्यता का सारा ज्ञान ताक पर रख देते हैं,
और अभद्रता और गालियां सबको बेबाक बोलते हैं,
अपने भाषा ज्ञान पर शर्म हया अब आती नहीं,
मां बहन को शामिल करने से हम डरते अब कभी
नहीं,
जिंदगी जिनके बिना अधूरी उनको भी हम बख्शते
नहीं,
अभद्रता के नाम पर मा बाप को शर्मशार करवाने से
हिचकिचाते भी नहीं।